जैनदर्शन में मैटर तथा जीव विज्ञान आदि का विशद् विवेचन मिलता है, लेकिन वह जिस भाषा शैली में लिखा गया है उसमें उसे सामान्य व्यक्ति को समझने में कठनाई होती है। यदि इन्हीं बातों को वैज्ञानिक शैली में, वैज्ञानिक खोजों के आधार पर प्रस्तुत किया जाये तो उससे न सिर्फ जैन सिद्धांतो को समझने में आसानी होगी, बल्कि धर्म के प्रति आस्था और अधिक मजबूत होगी। प्रस्तुत पुस्तक में जैन धर्म और विज्ञान की दृष्टि से भाग्य और पुरुषार्थ, अकाल मृत्यु, वृद्धावस्था और मृत्यु के कारण, जैन भोजन पद्दति, उपवास का महत्व, पर्यावरण पर जैन दृष्टि, जैन दर्शन में मैटर आदि विषयों पर 21 लेखों को संग्रहीत किया गया है. Description There is a lot of description in detail about matter and living being in Jainism. But it is written in an old traditional language that is difficult to understand by common people. If these are presented in a scientific matter, then it would not only be easy to understand the Jain principles but faith would also become stronger. In the present book, total 21 articles have been collected covering topics such as fate & efforts, premature death, reasons of being old & death, Jain food system, fasting, environment, matter in Jainism etc.